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विरुद्ध
और विरुद्ध
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१६-५६ शास्त्रोंको
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नागवंश
नागवशी ५२-५६
शास्त्रोंके नहपानको किशा
किया २७५-२७९ २७८-२७९ १८
१८३ Shulbhadra's Sthulbhadra's १७ 'कठिन है' शब्दके मागे पढों "मूलमें दिगबर जैनी
अपने प्राचीन नाम 'निम्रन्थ से ही प्रसिद्ध रहे। श्वेतापर अपनेको 'श्वेतपट' कहते थे, परन्तु दिगबर तब 'निर्भय' नामके ही अभिहित थे; जैसे कि कादंबर वशी राजाओंके ताम्रपत्र आदिसे प्रगट है।"
(१४८-४९) (१४८-४९)
198
मुर्ति
भूमूर्ति
७५
से भूषित वर्णनसे
सेषित वर्णनने
उन
प्रन
Mathura
तथा
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Mothera
तथापि
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होता
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होना
२७९७ वण्णदेव मल्लिपेषण
२७९) वप्पदेव मल्लिपेण