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इम खण्डको श्रद्धेय व० सीतलप्रसादनीने देखकर हमें उचित. परामर्श दिया है, इसके लिये उनको धन्यवाद है। इम्पीरियल लायचेरी कलबत्तासे हमें यथेष्ट साहित्य-सहायता मिली है। एतदई उसका भाभार स्वीकन है। साथ ही प्रिय मित्र आपडियानीका भी यांमार स्वीकार कर लेना हम उचित समझते हैं जिन्होंने न केवलं साहित्य प्रस्तुत करके इसका संकलन कार्य सुगम किया है, वरन् इसको प्रकाशमें लाकर उन्होंने इसका प्रचार व्यापक और सुगम बना दिया है। इति शम् । विनीत-- अलीगंज (एटा) 1 . कामताप्रसाद जैन, ११-२-१९३३। 5
संपादक "वीर" -552 र त्यवाद। प्रसिद्ध लेखक व इतिहासज्ञ श्री. बाबू कामताप्रसादजी जैनअलीगंजने अनेक ऐतिहासिक ग्रन्थ रचे है, उनमें "संक्षिप्त जैन इतिहास मी एक है, जिसका प्रथम भाग हमने ६ वर्ष हुए प्रकट किया था और यह दूसरा भाग (प्रथम खंड) भी आज प्रकट किया जाता है । आपने इस ग्रन्थका संकलन अंग्रेजी, हिंदी व संस्कृत भाषाकी छोटी बड़ी जीव १०० पुस्ताका वाचन व मनन करके किया है, जिसके लिये खाप भनेकशः धन्यवादके पात्र है। ऐसे ऐतिहासिक अन्योंका सुलभ प्रचार करनेके लिये जिस प्रकार इसका प्रथम भाग " दिगम्बर जैन " के 25 वें वपके प्राहकोको भेट देनेके लिये प्रकट किया था उसी प्रकार वह दूसग भाग (प्र० खंड) भी 'दिगम्बर जैन के २५वे वर्षके ग्राहकों को भेंट देनेरे लिये व जो उसके ग्राहक नहीं है उनके लिये विक्रयार्थ भी निकाला गया है। भाशा है कि इसका अच्छा लाभ उठाया जायगा ।
प्रकाशका