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मौर्य साम्राज्य
[२११ होना सिद्ध नहीं है । जैन लेखक तो स्पष्ट रीतिसे चन्द्रगुप्तको क्षत्रिय कहते हैं। हेमचन्द्राचायने 'मयूरपोपक' ग्रामके नेताकी पुत्रीको चन्द्रगुप्तकी माता लिखा है। किंतु इससे भाव 'मोर पालनेवाले के लगाना अन्याय है। प्रत्युत इस उल्लेखसे पुराणों के उपरोक्त उल्लेखोंका स्पष्टीकरण हुआ दृष्टि पड़ता है। संभवतः नंद: रानाकी एक रानी मयूरपोपक देश के नेताकी पुत्री थी और उसीसे चन्द्रगुप्त का जन्म हुआ था। जब शूद्रानात महापद्मने नंद राज्यपर आधिपत्य जमा लिया तो चन्द्रगुप्त अपनी ननसालमें जाकर रहने लगा हो तो असंगत ही क्या है? वहींपर चाणक्यकी उससे भेट हुई होगी।
मन शास्त्रों में एक मौर्याख्य देशका अस्तित्व महावीरस्वामीसे पहलेका मिलता है । वहाँके एक क्षत्रिय पुत्र-मौर्यपुत्र भगवान के
1-सिमा० मा० १ कि० ४ १० १९; भाइ.० ६२ घ राइ० भाग १ पृ० ६.। २-'मापोपकमा तस्मिश्च चणिनन्दनः ।
प्राविशतकणभिक्षा परित्रानवेषभृत् ॥ २३० ॥ मयूरपोपमहत्तास्य दुहितुस्तदा ।
अमृदापनसत्त्वायाश्चन्द्रपानाय दोहदः ॥ २३१||-८ ॥' इत्यादि। श्री हेमचन्द्र के इस कथनसे चन्द्रगुमको 'मोरोको पालनेवालेकी कन्याका पुत्र' लिखना ठीक नहीं है; जब कि वह प्रामका नाम मया पोपक लिख रहे है। मि० वरोदिया (हिलिज० पृ. ४४) और उनके अनुसार मि० हैवल (हिआइ० पृ० ६६) ने 'मयूरपोपक' का शब्दार्थ ही प्रगढ़ किया है।
३-डॉ. विमलाचरण लॉ० नन्दराजाका विवाह विपलिवनके मोरिय (मौर्य) क्षत्रियों की राजकुमारीसे हुभा समझते हैं। देखो क्षत्रीलेन्द्र० पृ० २०५१