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"ऐसा लि मुजरक बजातमुतसरी फवा श्वात" इसका अर्थ ये है:-चेतन दर्याफत करने वावा है अपने आपसे, कबजा रखने वाला है साथ औजारों के. यह जी पूर्वोक्त अर्थ के साथ ही मिलता है.
ऐसे ही मनुस्मृति,अध्याय प्वें और श्लोक १४ मै लिखा है कि, आत्मा अपना सादी (गवाद) और आश्रय नी आप
श्लोक. प्रात्मैवात्मनः सादी गतिरात्मा तथात्मनः । मावसंस्थाःस्वमात्मानं नृणां साक्षिण मुत्तमम् ॥
अर्थ टीकाः-यस्माच्छु ना शुन्न कर्म प्रतिष्ठा आत्मैवात्मनः शरणं, तस्मादेवं स्वमात्मानं नराणां मध्यमा उत्तम साक्षिाणं मृषा
निशाने नावशासि ___. और ऐसे ही 'लोकतत्व निर्णय' ग्रंथ में