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फल नहीं देता है. .
शिष्य:-तो, और किस प्रकार से ?
गुरू:-जिस रति से सूर्यका तेज अपनी शक्ति द्वारा सब पदार्थों को प्रफुल्लित करता है, इस प्रकार से ईश्वर नी अपनी शक्ति घारा फल देता है. - शिष्यः-सूर्य क्या श् शक्ति देता है ?
गुरू:-अमृत में अमृत शक्ति और जहर में जहर शक्ति, इत्यादिक.
शिष्यः-अमृत में अमृत शक्ति और जहर में जहर शक्ति तो हुआ ही करती हैं; सूर्य ने अपनी शक्ति द्वारा क्या दिया? और यह भी पूर्वोक्त तुम्हारा कहना ईश्वर कर्त्ता वाद के मत को बाधक (धक्का देने वाला) है; क्यों कि सूर्य तो जम है, उसको तो भले बूरे पदार्थ की प्रतीति नहीं है, कि इस वस्तु से कौन ३ सा लान और क्या ए हानि होगी. तो ते स