________________
३१७
•
. . ,
जैनीः वद नलकी किसने लगाई, और ज्रम में कौन पडा? ..
नास्तिकः ब्रह्म ही. - जैनी:-ब्रह्म को तो तुम, सर्वज्ञ और
सर्वव्यापक मानते दो, तो सर्वज्ञ को भ्रम - कैसे ? और पडा कहां? . नास्तिकः-जैसे मकमी आप ही जा
ला पुर के आप ही फन्से. ... जैनी:-वाहवा ! ब्रह्म तो खूब हुआ
जो आप ही तो कूआं खोदे और फिर आंख मीच आप ही गिर कर डूब मरे...
(१३) ..नास्तिकः--१२२ पृष्ठ में जैसे स्वप्न के खुलते हुए स्वप्न में जो पदार्थ कल्प रखे थे, सब सही समय नष्ट हो जाते हैं, ऐसे . ही पीले विदेद मुक्ति के सब संसार नष्ट हो जाता है. कोई ऐसा न विचार करे कि मैं तो मुक्त हो जाऊंगा, और मेरे शत्रु मित्रादिक