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१६ . . .. यों जान ले कि मैं तीन लोक का राजा दूं फिर. खूब ही चोरीयां किया करे, कुच्छ नय नहीं. परन्तु नास्तिकजी! वह मन से चाहे राजा हो जावे, परन्तु पकमा तो जावेगा. .. ,
- नास्तिकः-यदि जीव और ब्रह्म में हम लेद मानेंगे, तब तो सब में नेद मानना पमेगा.... . .... ... जैनी:--लेद तो है ही, मानना ही क्या पमेगा? .... ..
...... (११) .. .
नास्तिकः--10 पृष्ठ में यह संसार इन्जाल है? : जैनीः-इन्जाल जी तो इन्जालिये का किया ही होता है. तो क्या तुम्हारा ब्रह्म इन्जालिया है ?
नास्तिकः-जैसे तोत्ता तलकी पर लटक कर ज्रम में पम जाता है. .