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शास्त्रों का कहना ही क्या ? और यहां इस विषय में वेदमंत्रो के लिखने की भी आवश्यकता (जरूरत) थी, परन्तु ग्रंथ के विस्तार के नय से नहीं लिखे हैं, और दूसरे हमारे जैनी भाईयों में से इस विषय में कई एक पुस्तक उप चुके हैं. बस ! यदि ऐसे वेद इश्वरोंक्त हैं तो वह ईश्वर ही ठीक नहीं है, यदि ईश्वर के कहे हुए वेद नहीं हैं तो वेदों का कथन ईश्वर को पूर्वोक्त कर्ता कढ्ने आदिक में प्रमाण नहीं हो सकता.
पृच्छकः-सत्य शास्त्र कौनसे हैं ? और प्रथम कौनसे हैं ?
उत्तरः सत्य और असत्य तो सदा ही से है. परन्तु असली बात तो यह है कि जिन शास्त्रों में यथार्थ जम, चेतन, लोक, परलोक, बंध, मोद, आदि का ज्ञान हो और शास्त्रानुयायियों के नियम आदि व्यवहार श्रेष्ठ हो, चहीं सत्य हैं और बड़ी प्रथम हैं.