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२ए . दिया, कि अजी! इनका और ज्ञान तो ठीक है परन्तु जो सर्व धर्म का सार मुक्ति है वह ठीक नहीं है. क्यों कि यह मोद रूप चेतन को शिक्षा के ऊपर एक महदूद जगह में हमेश ही रहना मानते हैं, कहो जी! वद मुक्ति क्या हई? एक आयुनर की कैद हुई! तव दमने देखा कि यह वेगुरे प्रत्येक मत के दोषान्वेषी. अर्थात् अवगुणग्राही हैं, सूत्रअर्थ को तो जानते ही नही हैं. यहां तो युक्ति प्रमाण से ही समझाना चाहिये. तब सन्ना के बीच में एक ' राजपूत, सर्दार अस्सी वर्ष के लगनग की आयु वाला वैग. दुआ था और हमने उस ही की और निगाह कर के कहा, कि नाई! तुम्हारी कितने वर्ष की आयु है ? तो उसने कहा 10 वर्ष की है.. . :- हमः- तुम्हारा जन्म कहां हुआ है ? .
राजपूतः-शायपुर.'' .. ; हमः-जब से अब तक कहां रहे ?