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दें कर पालन पोषण करता हूँ, और मैं सूर्य की तरह सब जगत् का प्रकाशक हूं, झान ,
आदिक धन तुम मुझ ही से मांगो, मैं ही जगत् को करने, धरने वाला हूं, तुम लोग मुझे बोझ कर किसी दूसरे को मत पूजो.. (सत्य मानों). अब देख नोले ! जैनी तो मनुष्य मात्र हैं, अपनी बमाई करते होंगे, वा न करते होंगे, परन्तु तुम्हारा. तो ईश्वर ही स्वयं अपनी बमाई करता है और कहता है कि मुझे ही मानो, और सब का त्याग करो! फिर और देखो बमे आश्चर्य की बात . है कि ईश्वर कहता है कि मैं धन देता हूं,
और जोजनादि दे कर पालन करता हूं, परन्तु लाखों मनुष्य निर्धन पके हैं, क्या जनको देने के लिये ईश्वर के खजाने में धन नहीं रदा? और दुर्निक्ष (अकाल) पम्ने पर लाखों मनुष्य और पशु नूख ही से मर जाते हैं; क्या ईश्वर के गल्ले में अन्न नहीं रहता होगा?