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४ . • कट शहर आगरा जमींदार झातीय माता धनवन्ती, और पिता बलदेवसिंह के घर मेरा जन्म हुआ, और फिर मैने पूर्व पुण्योदय से सम्बत् १९३४ के साल में जैनमत में सती का योग (संयम) ग्रहण किया, और फिर हमेश ही साधवीयों के साथ नियमपूर्वक विचरते हुए, दिल्ली, आगरा, पञ्जाब स्थल में रावलपिएकी, स्यालकोट, लाहौर, अमृतसर, जालंधर, होश्यारपुर. बुदाना, पटियाला, '. अम्बाला, आदिक गांव नगरों में धर्मोपदेश सन्ना समीक्षा करते रहते हैं. और युधि के अनुसार जयविजयनी होती ही रहती है, फिर विचरतेश जयपुर, जोधपुर, पाली, उदयपुर आते हुए १५५६ के साल माय महीने में अजमेर के पास एक रजवामा रियास्त शा- यापुर में चार पांच दिन तक मुकाम किया,
और वहां तीन दिन तक सन्ना, समीक्षा, धमोपदेश किया, जिसमें ओसवाल, राजपूत,