________________
देहली होगी; और जिसके स्थूल देह होंगी. उसके.. सूक्ष्मदेद अर्थात् अन्तःकरण जी, होगा. तां ते तुमारा पूर्वोक्त कथन मिथ्या है, जो कहते हो कि ईश्वर की इच्छा से सृष्टि बनती है. ईश्वर के तो इच्छा ही नहीं है,तो बनता बनाता क्या? ईश्वर तो सर्वानन्द सदा ही एकरस कदता है.बसवदी सत्य है जो जपर लिख
आये हैं,कि अकृत्रिम वस्तु का की नहीं हो सकता है; क्यों कि जब ईश्वर अनादि है.तो ईश्वर के जाननेवाले जी और नाम लेने वाले नी अनादि होने चाहिये, क्यों कि जब ईश्वर है, तो ईश्वर के गुण कर्म, स्वनाव जीसाथ ही हैं.तो ऐसा हो ही नहीं सक्ता कि इर्श्वर को कोई जाने ही नहीं, और नाम लेवे ही नहीं, और
ईश्वर कुठ करे ही नहीं अगर ऐसा हो तो ई.श्वर के गुण कर्म स्वन्नाव नष्ट हो जावें और ईश्वर की ईश्वरतानी न रहे.न.तो ऐसा मानना पमेगा कि ईश्वर कली है, और कनी.नहीं;