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१२४ हवें समुल्लास प ष्ठ २४.वीं पंक्ति में मुसलमानों के कहने पर तर्क कैसे करी है, कि खुदा के हुक्म से जहान कैसे बन गया? नला, हम तुमसे पूबते हैं कि सृष्टि इच्छा से कैसे बन गई? अरे नोले! औरों पर तो तर्क करनी
और अपने घर की खबर दी नहीं क्यों कि हुँक्म तो बचन की क्रिया है और इन्चा मन की क्रिया है. क्या, मरजी कोई बुहारी (झाडू) है कि जिससे परमाणु इकठे करके सृष्टि बनाई? दाय अफसोस! पूर्वोक्त शास्त्रों के अज्ञदी बहकाये जाते क्यों कि जब तुम इश्वर को निराकार मान चुके हो तो इछा कहांसे आई? दे नाई! तुमको इतनानी ज्ञान नहीं है,कि मरजी एक अन्तःकरण की प्रकृति होती है,अर्थात् मन, मरजी, इच्छा, संकल्प, दलील, नाव, प्रणाम यह सव अन्तःकरण के कर्म अर्थात् फेदन
हैं: तांते,समऊना चाहिये कि जिसके अन्तः. करण अर्थात् सूक्ष्म देह दोगी, उसके स्थूल