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प्रतिमा के तोड़ने वाले, हीलना करते हुए, खींसना करते हुए, निंदा करते हुए, गरहा करते हुए, पराभव करते हुए, चैत्य (जिन
प्रतिमा) तीर्थ, और साधु साध्वा को उत्थापेंगे॥ है तथा इसी सूत्र में कहा है कि श्रीसंघ की राशि ऊपर ३३३ वर्ष की स्थिति वाला धूमकेतु नामा ग्रह बैठेगा,ओरतिसके प्रभाव से कुमत पंथ प्रकट होगा,इस मूजिब ढुंढकों का कुमत पंथ प्रकट हुआ है.और तिस ग्रहकी स्थिति अब पूरी हो गई है, जिससे दिन 'प्रति दिन इस पंथ का निकंदन होता जाता है ! आत्मार्थी पुरुषों ने यह वात वग्ग चूलिया सूत्र में देख लेनी॥
समाकतसार (शल्य) नामा पुस्तक के दूसरे पृष्ट की १९मी 'पंक्ति में जेठमल्ल ने लिखा है कि "सिद्धांत देखके संबत् (१५३१) में दयाधर्म प्रवृत हुआ” यह बिलकुल झूठ है क्योंकि श्रीभगवती सूत्र के २० मे शतक के टमे उद्देशे में कहा है किभगवान महावीर स्वामी का शासन एक बीस हजार (२१०००) वर्ष तक रहेगा सो पाठ यह है ॥
गोयमा जंबुद्दीव दीवे भारहेवासे इमीसे उस्सप्पिणीए मम एकवीसं वाससहस्साइं तिथ्थे अणुसिज्जिस्सत्ति ॥भ श०२० उ०८
भावार्थ:-हे गौतम ! इस जंबूद्वीप के विषे भरतक्षेत्र के विषे इस उत्सर्पिणी में मेरातीर्थएकबीसहजार(२१०००)वर्षतकप्रवर्तेगा . इस से सिद्ध होता है कि कुमतियों ने दया मार्ग नाम रख के मुख वंधों का जो पंथ चलाया है, सो वेश्या पुत्र के समान है, जैसे वेश्या पुत्र के पिता का निश्चय नहीं होता है, ऐसे ही इस पंथ के देव गुरु का भी निश्चय नहीं है, इस से सिद्ध होता है कि यह सन्मूर्छिम-पंथ हुंडा अवसप्पिणी का पुत्र है ॥