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६६-सम्यक्त्वपराक्रम (४)
उचित है ? इस प्रश्न के उत्तर मे भगवान् ने कहा हैयह स्थूलदृष्टि का कथन है । सूक्ष्मदृष्टि से तो मरते समय अनशन करना ही योग्य है । इस प्रकार कहकर भगवान् ने, सथारा क्यो और कब लिया जाता है, यह बात स्पष्ट करने के लिए मडूक चोर का उदाहरण दिया है। वह इस प्रकार है:
शखपुर मे एक चालाक चोर रहता था। वह इस चालाकी से लोगो के घर चोरी करता था कि यह पता लगाना तक कठिन हो जाता था कि चोरी कब और किस प्रकार हुई है ? चोरी के कारण प्रजा परेशान हो गई । प्रजा ने बहुत प्रयत्न किया मगर चोर का पता नही लगा। किसी के घर का ताला टूटा नही, दीवार मे सेध लगी नही, फिर भी घर में चोरी हो गई । इस चतुर चोर की चालाकी से प्रजा थक गई । आखिरकार प्रजा इकट्ठी होकर राजा के पास पहुची। शखपुर की प्रजा छोटी-छोटी बातो के लिए राजा के पास नही पहुचती थी । अतएव राजा समझ गया कि आज प्रजा पर कोई बड़ी मुसीबत आई दिखाई देती है । इसी कारण लोग मेरे पास आये हैं ।।
राजा ने प्रजाजनो से पूछा--तुम्हे क्या कष्ट है, स्पष्ट कहो ।
प्रजा ने चोर द्वारा चारो ओर फैलाये हुए हाहाकार का वृत्तान्त आदि से अन्त तक कह सुनाया । राजा चोर की चालाकी की बात सुनकर आश्चर्यचकित हो कहने लगा-यह चोर वास्तव मे कोई महान् चोर है । खोज करके जल्दी ही उसे पकडना चाहिए । चोर को पकड़कर मै प्रजा