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इक्यावनवाँ बोल
करणसत्य
पिछले बोल मे भावसत्य का विचार किया गया है। भावसत्य से होने वाले लाभ के विषय मे भगवान् ने कहा है- भावसत्य से जीवात्मा भावविशुद्धि प्राप्त करता है और भावविशुद्धि से करण तथा योग की भी विशुद्धि होती है । अब गौतम स्वामी, भगवान् महावीर से पूछते हैं कि करणसत्य क्या है ? और उससे जीवात्मा को क्या लाभ होता है ? प्रश्नोत्तर यह है :
मूलपाठ प्रश्न-करणसच्चेण भते ! जीवे कि जणयइ ?
उत्तर-करणसच्चेण करणसत्ति जणयइ । करणसच्चे वट्टमाणे जीवे जहावाई तहा कारो यावि भवइ ॥५१॥
शब्दार्थ प्रश्न-भगवन् ! करणसत्य से जीव को क्या लाभ होता है ?