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पचासवां बोल-२२१
धर्म की आराधना करता है वही वास्तव मे आस्तिक है। इस प्रकार भगवान महावीर ने भावसत्य को ही धर्म की आराधना का मूल कारण बतलाया है । अतएव धर्म की आराधना करने के लिए भावसत्य को जीवन मे स्थान दो पौर हृदय की शुद्धि करो ' इसी मे आत्मा का कल्याण है।