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________________ बीसवां बोल-२५७ उसके विषय में प्रतिपृच्छना अर्थात् पूछताछ या विचारविनिमय करना चाहिए । ___ कोई मनुष्य किसी को खोटा सोना दे तो वह लेने वाले से यही कहेगा कि यह सोना किसी को बतलाना नही, चुपचाप घर ही ले जाना । हा, सच्चा सोना देने वाला ऐसा नही कहेगा । वह कहेगा यह सोना सच्चा है या नहीं, इस बात की जाँच चाहे जहाँ कर लेना । इसी प्रकार अगर जैनसिद्धान्त मे कही पोल या गडबड होती तो विचारविनिमय या पूछताछ करने की बात नही कही होती । मगर जैनसिद्धांत मे किसी प्रकार की पोल या गडबड नही है, इसीलिए कहा गया है कि-ली हुई सूत्रवाचना मे जो कुछ पूछना हो वह पूछो । इस प्रकार प्रतिपृच्छना करने से अत्यन्त लाभ होता है, यह भी बतलाया गया है । जो सूत्र. वाचना ली गई है उसके विषय मे पूछताछ करने से क्या लाभ होता है, इस सम्बन्ध में यह प्रश्न किया गया मूलपाठ प्रश्न - पडिपुच्छणयाए णं भते ! जीवे कि जणयह ? उत्तर - पडिपुच्छणयाए ण सुत्तत्थतदुभयाइ विसोहेइ, कखामोहणिज्ज कम्म वुच्छिदइ ।। शब्दार्थ प्रश्न- भगवन् ! प्रतिपृच्छना से अर्थात् शास्त्रचर्चा से जीव को क्या लाभ होता है ? ___ उत्तर– प्रतिपृच्छना से सूत्र, अर्थ और सूत्रार्थ का
SR No.010463
Book TitleSamyaktva Parakram 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1972
Total Pages307
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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