________________
२४४-सम्यक्त्वपराक्रम (१)
मुसलमान बन सकते है । इस विचार के साथ ही उसने सोचा- मगर दुष्काल पडना तो कुदरत के हाथ की बात है । मुझसे यह किस प्रकार हो सकता है ।
मुस्लिम धर्म नही कहता कि किमी का बल क र से मुसलमान बनाया जाये या किसी पर अत्याच र किया जाये, मगर मनुष्य जब धर्मान्ध बन आता है तो उसमे वास्तविक धर्माधर्म के या योग्यायोग्य के विच र करने की शक्ति नहीं रहती । राजा का धर्म तो यह है कि किसी सकट के समय प्रजा की सहायता करे, मगर औरगजेब तो धर्मान्धता के कारण उलटा दुष्काल बुलाने का विचार कर रहा है
औरगजेब सोचने लगा अगर दुष्काल पड जाये और लोगो को अन्न न मिले तो वे जल्दी मुसलमान हो जायगे । लेकिन कुदरत का कोप हए विना दुष्काल कैसे पड़ सकता है ! ऐसी दशा मे मैं अपना विचार अमल मे कैमे लाऊँ ? विचार करते-करते आखिर वह कहने लगा - मैं बादशाह ह? क्या बादशाहत के जोर से मैं अकाल पैदा नहीं कर सकता ? इस प्रकार सोचकर, बादशाह ने करीब दो लाख सैनिक काश्मीर मे भेजे और वहा के धान्य से लहराते हुए खेतो पर पहरा विठला दिया । किसान धान्य काटने आते तो उनसे कहा जाता -मुसलमान बनना मजूर हो तो धान्य काट सकते हो, वर्ना अपने घर बैठो। इस प्रकार अन्न काट के कारण कितने ही किसान मुसलमान बन गये । जब वादशाह को यह वृत्तान्त विदित हुआ तो वह अपनी करतूत की सफलता अनुभव करके बहुत प्रसन्न हुआ । साथ ही उसने अन्य प्रान्तो मे भी यह उपाय आजमाने का निश्चय