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सूत्रपरिचय (ख)
उत्तराध्ययनसूत्र के सम्बन्ध मे विशेष विचार करने पर विदित होता है कि प्रस्तुत सूत्र अनेक सूत्रो मे से उद्धृत किया गया है और इसमे अनेक महापुरुषो की वाणी का सग्रह किया गया है । इस कथन के लिए प्रमाण क्या है ? नियुक्तिकार कहते है -
अगप्पभवा जिणभासिया य पत्तेयबुद्धसंवाया । बंधे मुक्खे य कया छत्तीसं उत्तरज्झयणा ॥
अर्थात-इस उत्तराध्ययन के छत्तीस अध्ययनो मे से कुछ अध्ययन अगो मे के है अर्थात् पूर्व अग में से उद्धृत हैं । अग का अर्थ यहाँ दृष्टिवाद है । दृष्टिवाद में भी पूर्व के भाग मे से उद्धृत किये गये हैं। जैसे-परिषह नामक दूसरे अध्ययन के सम्बन्ध मे कहा जाता है कि यह अध्ययन 'कर्मप्रवाद' नामक पूर्व के सत्रहवे अध्ययन में से उद्धृत किया गया है। कुछ अध्ययन जिनभापित है, जैसे-गौतम स्वामी को सम्बोधन करके भगवान् ने उपदेश दिया है । यद्यपि भगवान् ने गौतम स्वामी को सम्बोधन करके उपदेश दिया है तथापि वास्तव मे वह उनके सभी शिष्यो के लिए है । कुछ अध्ययन प्रत्येकवुद्ध द्वारा कहे गये हैं, जैसे कपिल मुनि द्वारा कहा हुआ अध्ययन । कपिल मुनि प्रत्येकबुद्ध थे। उन्होने जो अध्ययन कहा वह प्रत्येकवुद्ध द्वारा कथित अध्ययन है। कुछ अध्ययन सम्वाद रूप मे कहे गये हैं, जैसे नमिराज-इन्द्र