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तीसरा बोल-१८७
पाखाने में गये विना रह ही नहीं सकते तो आपसे कुछ अधिक कहना बेकार ही है।
पहले मित्र ने य ; सब दूसरे मित्र को बतलाते हुए कहा- 'तुम हजारो रुपयो को भेट देने को थे, फिर भी आशा नही थी कि राजा पाखाने मे बैठने को तैयार होगा। लेकिन मैंने पाखाने में न जाने के लिए राजा से प्रार्थना की, फिर भी राजा रुका नही । इसका क्या कारण है ? इसका एकमात्र कारण यह चूर्ण है । राजा ने चूर्ण न खाया होता तो इस समय वह पाखाने मे न गया होता । इस प्रकार ससार मे एक भी ऐसा पदार्थ नही है, जिसके पीछे दुख न छिपा हो ।'पहले मित्र की इस युक्ति से दूसरा मित्र समझ गया कि जिसे वह सुख माने बैठा है, उस सुख के पीछे भी दुख रहा हुआ है।
इसी प्रकार आधुनिक भौतिक विज्ञान के विषय में भले ही कहा जाये कि विज्ञान द्वारा इतने मुख-साधन प्राप्त हए हैं, किन्तु साथ ही यह भी देखना आवश्यक है कि इन वैज्ञानिक सुख-साधनो के पीछे कितने भयकर दुख छिपे हए हैं । धर्म के प्रति श्रद्धा न होने के कारण ही लोग विज्ञान पर मोहित हो रहे हैं । मगर जब धर्म पर श्रद्धा उत्पन्न होगी तब ससार के समस्त पदार्थो पर अरुचि उत्पन्न हो जायेगी । साप को पकडने की इच्छा तभी तक हो सकती है, जब तक यह न मालूम हो जाये कि इस साँप मे विष है । साँप ऊपर से कोमल दिखाई देता है मगर उसकी दाढ मे विष भरा होता है। इसी कारण लोग उससे दर भागते हैं। साप मे विप न होता तो उसकी कोमलता