________________
મર
" पत्र था तो शि
|| श्री वीतरागाय नमः ॥
श्री कुंदकुंदाचार्य चरित्र.
(इस्वी सन पूर्व ५०० वपेनो जनोनो संक्षिप्त इतिहास )
अनुवादक अने प्रकाशक
मूलचंद किसनदास कापड़ीआ, ऑ. संपादक, "दिगंबर जैन " -सूरत. यात
वडोदरा निवासी शा. गीरवरलाल नारणदास मघवी तरफधी नेमना स्वर्गवासी व जमनादासना स्मरणार्थ 'दिगवर जैन' पत्रना ग्राहकोने मातमा वर्षमा
( प्रथम ) भेट.
-
13405