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1 अप्रासद लाणी गाम
म पाण श्री विमल पाक- प्रमू
लेखक- पू. प. श्री भद्रकरवि गणिवरना शिष्यरत्न मुनिश्री पुण्यविजयजी महाराज (आदोनी स २०२५)
पुरुपादानीय नाम करमसे, नाम अनेक तुमधारो। · गुणवती गुजरातनु पाटनगर वडोदरा ___ जपनेसे होय सुधारो,
जिल्हामा छाणी गाम आवेल छे, ज्या करीबन जापक शुभ गति अनुसरीया
दोढसो वर्ष पहेला वि स. १८९३ ना वर्षमा श्री पार्श्वजिन गुण दरिया ॥ श्री विमल पार्श्व जिननी प्रतिष्ठा घणा धामपू पा कविकुल किरीट आचार्य भगवन
धुमथी थइ हती आ छाणी गाममा वि स १८२१ लब्धिसूरीश्वरजी महाराजाए परमपावन श्री
सालनी एक हस्तलिखित प्रतना रास उपरथी पार्श्वप्रभुनी भावभर्या उल्लासित वचने स्तुति
जाणवा मळयु छे के, अहिं पहेला पाच जिन ललकारता स्पप्ट फरमाव्यु के, 'हे करूणासागर
चैत्यो, पाचमी गतिने प्राप्त कराववा जाणे न श्री पार्वजिन । आपे एवु कयु पुण्य सपादन कर्यु
बोलावी रह्या होय, एवा उत्तुग गोभी रह्या के, आप अनेक नामथी विश्रुतने पाम्या, अने जेओ आपना एक पण शुभाभिधाननो जाप __कालना प्रभावे कहो के दैवीय उपद्रवना करीने इच्छित स्थानने पाम्या छे, पामी रह्या कारणे कहो, या कोई राजाना कोपना निमित्ते छे अने पामशे ।
अहि जैनोनी सख्या घटती गई अने पाच जिनअतीत कालना ऐतिहासिक रासमालाओना
मदिरो एक मदिरमा फेरवाई गया पृष्ठो पर दृष्टिपात करता, पार्श्वप्रभुना अनेक श्री महावीर भगवते सत्यज दर्शाव्यु छे के, नामो मळी आवे छे पण हजु सुधी'- श्री विमल दरेक पदार्थो, पुद्गलो समये समये परावर्तित पार्व' एवु शुभ नाम प्राप्त थयु नयी, एज थयाज करे छे नगरनु गामडु वने छे गामनु अमारे मन घणा आश्चर्यनी वात छ।
स्मशान बनी जाय छे स्थळ होय त्या धुधवाट
हता
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[ श्री कुभोजगिरी शताब्दि महोत्सव