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गांकलुल
का तुरन
थेरा
ना
होप्रगतो
नाथ सुरासुरनृणा कलुष-विमुक्त नागाचित सहनगाभमहो प्रशात नानम्र सेवकगणेऽथ भवा भवाति नागाड्क-पार्व सुजपोऽकुशल प्रहन्ति ॥ ८ ॥
प्रमथन Myeapse GANA
छत्रवध
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छत्र बन्ध
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• नमस्कार महामत्र मनप्यनी पोतानी पुजी छे
• नमनार मयमा पापनी घृणा छे अने पापीनी दया छे
• नगलायी गणिनी कठोरता, मननी कृपणता अने बुद्धिनी कृतघ्नता नाग
पामे छ भने अनुम्मे कोमलता, उदाग्ना अने कृनजता विकसित धाय छे.
• गा काग्मा शुभ यम, उपासना अने शान ए प्रणेनो मुमेळ छे. शभकर्मनु फळ
मा. आमनानं पळगाति ने बाननं फळ प्रभू प्राप्ति छ
[श्री कुंभोजगिरी शतान्चि महोत्सव