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हजरतही के पास ॥ इताअत करोमिया फरमास । जिंदगी जीना इत्कार
. के वास ॥ दोहा-जन्म सुधारण चहात हो। तो करो गुरुकी सेव॥
हीरालाल दरम्यान सभाके । चेताते नित्यमेव ॥ मिलत-गाफिल क्यों होतेहो अन्धे यार॥अग४॥
॥ पण्डित लक्षण-लावणी ॥ पण्डित होवे जो परवीन । पापसे डरे रात और
दिन ॥ आं०॥ दर्द सब जीवोंका पहिचान । हटावो क्रोध लोभ
और मान ॥ हणे नही किसी जीवके प्रान । समजलो यही
ज्ञान और ध्यान॥ दोहा-केइ कन्द मूल भक्षण करामद मांसको अहार॥ ___ रयणी भोजन रक्त काममें । दुर्बुद्धी आचार ॥