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मनका मोगरा चितकी चमेली फैली । गुरुभक्तीका गुलाव डगाल्यां पहली ।। किरियाकी केतकी केवडा दोनों भेली। चरचाको चंदन शीतल सुगन्धी मेली ॥ या सील रसनी सडक बनी चउतारी ॥ फुल ॥२॥ यह तीन तत्वका तीनों भेद कहलाना । नारंगी नीम्बू जामफलका खाना ।। नारेल खजूरा खारक पेड मेवाना। उत्तम लेशा तीनों तीन पहचाना ।। या दाखोंकी वेलीविनयका मंडप जहारी।फुल।।३॥ यह नव तत्वका मेवा नाना प्रकारे। अंजीर अंगुर विदाम पिस्ता छहारे । चैतन्य माली करे रक्षा वागकी वाहारे । धमाका कोट अति किया वहुत होशियारे ॥ प्रमाद रूप वन्तुकी करो रखवाली ॥ फुल ॥४॥