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(४१) वहासे बारह जोजन ऊंची । सिद्ध सिलापर मुक्ती
पाना है॥ सुख अनंता सिद्ध भगवंतका । जन्म मरण दुःख
मिटाना है ॥ जवाहर लालजी गुरु प्रसादे। हीरालाल सुख पाते
हैं । चउदे ॥ ४ ॥
॥ श्री गुरुउपकार लावणी ॥ बंदगी करो गुरुकी गुनवान । जिनोका है सिरपर
अहसान ॥ आं.॥ अगर जो दिया है संयम भार। उनोका है मोटा
उपकार ॥ होवे जो ज्ञानतणा दातार । गुणोंका गुण भूले
जो गंवार ॥