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(३०) हाथ जोड हुं करुं विनंती। ते मान लीजोजी ॥बेगा ॥ १ ॥ गाम नगरपुर पाटण जामे। सुखसे विहार करीजोजी ॥ वारंवार हुँ अर्ज गुजारूं। भूल मति जाजोजी ॥बेगा ॥ २ ॥ चन्द्र चकोर तणीपर निशदिन । सुरतडी दरशीजोजी ॥ धन्य भाग धन्य घडी आपका । चरण स्पर्शीजोजी ॥बेगा ॥ ३ ॥ दरशन करतां कोटि भवांका। पातक दूर करीजोजी॥ पाछा फिरतां मन नहीं माने । किम पग भरीजोजी ॥ वेगा ॥ ४ ॥ श्रावक श्राविका करे बंदणा।