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(२९) एहने अंब जाणीने जल सींचियोरे । माटो थावाथी जाण्यो कडवो नीमडोरे ॥ज्ञा॥५॥ पहने दृध सरीखो जाण्यो ऊजलोरे । पालो जोवाथी जाण्यो जिम कागलोरे ।।ज्ञा।।६।। जाण्या हंस सरीखी गती चालसेरे । ध्यान धरवाथी जाण्यो जेहवा वगलोरे ||७|| मुमुह जाणीने शिप्य मुंडावियो रे । हागलाल कहे छ हिवडां देखलोरे ॥८॥
॥ विहार करते मुनीराजसे विनंती स्तवन ॥
॥ चतन तोरे ॥ यह देशी॥ वेगा आजोजी२ महागज मुनीश्वर । दरशन दीजोजी ॥ वेगा० ॥ आं० ॥ विहार करता वाहला लागो । कृपा वेगी फीजोजी॥