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(२०) दोहा-अमर कुंवर अनिमें डालत गिण्यो नवकारा॥
हुवा सिंहासण छत्र शिरपरादेख रह्या नरनार॥ मि०-किया फेर गुन्हा सभीका माफ॥ कटत है।।२॥
सेठ सुदर्शन था सीलवान । राणीने करी कपटकी खान ॥ सेठपर डाली जाल दरो गान ।
राजको भरमाया भर्म म्यान ॥ दोहा-सूली चढावो सेठको। हुकम दियो राजान॥
हुवा सिंहासण उसीवक्तांधों मंत्रको ध्यान।। मिलत-दुशमनका हुवा काम विलाप॥कटत है॥३॥
बचाया शिवकुंवरका प्रान । चोरको सेठ बताया ज्ञान ॥ धरा नवकार मंत्रका ध्यान ।
जटाउ पक्षी पाया देवस्थान ॥ दोहा-या विधि केइ जीवक संकट सब दिये मेट।