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(१९) | नवकारमंत्र स्तवनारावणको समझावे राणीदे०
करो नवकार मंत्रका जाप । कटत है जन्म २ का पाप ॥ आं० ॥ सवही शास्त्रके दरम्यान । किया नवकारमंत्र वयान ।। समझली यही ज्ञान और ध्यान ।
भजन विन नर है पशू समान ।। दोहा-पंचपद परमेश्वरो । वर्ण पैंतीस प्रमाण ।। अर्हत सिद्ध आचार्य उपाध्याय । साधू
बतावे ज्ञान ।। मि०-खो सब दिल अपना तुम साफ ॥ कटत ।
अनी होवे जल समान । भूत नहीं लागे जहां स्मशान ॥ रणमें बचावे अपने प्रान । जहर सो होवे अमृत पान ।।