________________
( ६ ) पंचरूप पुरन्दर कियारे । लिया माधवजी हाथ ॥ मेरु गिरीपर आविया कांई । इन्द्राण्य के साथ ॥ सु४ ॥ पंडंग वनमें पधारियाजी | सब देवों के संग ॥ स्नान विधी सघली करी कांई । भर२ कलश
सुरंग ॥ सु ॥ ५ ॥ नाटक गात वाजिं बजाया । पाया हर्ष अंपार ॥ माता पासे मेलिया कांइ । भरिया धन भंडार ॥ ६ ॥ सहश्र अष्ट लक्षण धणीरे । सुन्दर सघलो अंग || ऐसा पुत्र दूजा नहीं जी कांइ । गगन गति पतंग ॥ सु ॥ ७ ॥ रुप अनंत बल जानियेजी, निरामय निरलेप || पद्म कमल परमल छबी कांइ, श्वासोश्वास सुखेप | सु. ८ जगतारण जिन राजियाजी, तीर्थपति प्रमाण ॥
रालाल हर्ष भावस्यूंजी, गायो जन्म कल्याण | सु. ९