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महाराज त्रियासे जग भरमायाजी ॥धनदत्त॥३॥
एक मुनिराज महाराज गोचरी आया। ___ महाराज नटके नजरां पडियाजी।
धन्यरमुनि संसार त्याग फिर पार उतरियाजी॥ __ यों भाई भावनां काँका वृन्द उडाया। ___ महाराज ज्ञान केवल पद पायाजी। यह राजादिक सब लोक ज्ञान सुन घणा सुलटायाजी।।
श्री रत्नचन्द्रजी महाराज विश्ववदिता । __महाराज जवाहरलालजी यशवंताजी। यांको भाग बडो बलवंत वधे पुन्यवेल अनंताजी॥ यह उन्नीसो त्रेसर नीमचके मांही। महाराज हीरालाल यह गुण गायाजीराधनदत्तट
॥ जंबूकुंवरके स्त्रीयोंसे प्रश्नोत्तर ॥ स्त्रीयों के सवालाघडोम्हाने भरवादो नंदलालाएदेशी