SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१४२) मैने दिया एकात मेंडाल बाप तुजेलाया। महाराज जिनो किया गत कीधीजी। सुन उतर गइ सबरीस पिछले भवसे लीधीजी॥ छूट-अब तोडूं पीजरा फरसी को हाथ मै झेली। आता देख कौणिक को मुद्रिका मुखमै मेली।। कर पूर्ण आयुष्य नृप गयो नरक मे पहली। चौरासी सहश्र वर्षों की स्थिती भुक्तेली । मिलत-कर्मगत टलेन टालीजी । कियो॥३॥ यह आगमिक काल चौवीसी मांही ।। महाराज होसी जिनपद अवतारीजी । श्री पद्मनाभ महाराज विमल वाहन अस्वारीजी॥ सुरपति सेवानें रहकर राज चलावे महाराज देवसेण नाम कहवासी जी। फिर लेकर संयम भार धर्म मार्ग बतलासीजी॥
SR No.010456
Book TitleJain Subodh Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal Kimti Haidrabad
Publication Year1913
Total Pages221
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy