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॥छे भाइ साधका वर्णन-लावणी चाल लंगडी ।। श्रीनमीनायभगवानपधागभव्यजीवोपेउपकारकरण। भालपुरक वागमे । रच्योदेवता समवसरण ।। टेर॥ नागसेटमानानुलमांके । छे नंदनहुवेअतिगुणवंत।। नलम्बी औपमा । शास्त्रमें भाखी भगवंत ॥ याणीउनीश्रीनेमीनायकी संयमलीनधिगमनखंत ।। मातापाने आयकर । पूछन मुर्दा हुइ मतीयंन । शेर-रेट सेटानी इस वाहामुत्र बलम हाड कंतनी।। बल दीपक चन्द्र जैसा। प्राण जमा अत्यंतनी॥ चारित्रतोअनिदोहिलो । नहींसोहिलोलगारजी।। पष्ट करणी सर्व वरणी। करनो उग्रह विहारजी।। हट-पटु भात कियो उपाय कुंवर नहीं मानी।
जब मात पिता इम कहे लगा एक ध्यानी ।। मोय कर संयम लियो प्रभृ पास आनी । वं श्री नेमीनाथके शिष्य उत्तम पट प्रानी ।।
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