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(९०) तीर तेरे हक पर होवेगा। किसीपर भूल नहीं जाना३ पेशाबी पैदास जो गोया । वही नापाक है गोया ॥ कुन्द गौस्त के खुरशद । वही दोजख पाया ना ४ विगाना गोस्त जो खाते । बचसल सनासे बनवाते॥ तुराअस्तगौस्तको चहाते।फिकर तुजकोनहींलाना५ अपनी जान है जैसी सभी की समज लो वैसी॥ अगर खातिर नहीं तुजको।तो तेरी गरदन पर धरानाद अजा बुलवाकर क्योंमारो। तो अपना पुत्रक्योंप्यारो॥ चिडियां चित २ करती है। सभीपर महर तो लाना७ पैदाजिसने किया तुमको।नैकीपर रहना हरदमको॥ किसीका गला मत काटो। मियां यही महर कहलाना चस्म तुम हिये के खोलोजिक्र दिल बीच यह तोलो।। हीरालाल ज्ञानसे गावे । बहिस्त के दर खुलाना ९