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(८४) ॥ पद-कलियुग दर्शक ॥ राग-होली ॥ कलयुगमें पाप अति छाया । कलयुगमें ॥ टेर।। मात पिता गुरु देवकी भक्ति । घट गइ कलयुगके आया ॥ कलयुगमें ॥१॥ बेटीके साटे बाप परणियो। नानीसी लाडी घरमें लाया ॥ कलयुगमें ॥२॥ बेची पुत्रीको व्याव रचायो । बुढा बींद परणवा आया ॥ कलयुगमें ॥३॥ गौ घातिक नर दुष्टकी सेवा । राजाअतित कर दुःख पाया।। कलयुगमें॥ ४॥ मेघदृष्टी दुर्भिक्ष दिखावे । अकाले वर्षे बिन चहाया ॥ कलयुगमें ॥५॥ लाज शर्म नहीं रही लोकांमें । बोले बके जैसो मद पाया ॥ कलयुगमें ॥६॥ कुगुरुको देख भूत जिम नाचे।
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