________________
अहो जगतपति पूज्य अवधिज्ञानी मुनि हारे। तुम गुणकीर्तन माहिं कौन हम मन्द विचारे ।। थुति छलसों तुम विषै देव आदर विस्तारे । शिवसुख पूरणहार कलपतरु यही हमारे ॥२५॥ वादिराज मुनिः अनु, वैय्याकरणी सारे। वादिराज मुनितें अनु तार्किक विद्यावारे ॥ वादिराज मुनित अनु हे काव्यन के ज्ञाता। वादिराज मुनिः अनु है अविजन के त्राता ॥२६॥ दोहा-मूल अर्थ वहुविधि कुसुम, भाषा सूत्र मंझार ।
भक्तिमाल भूधर' करी करो कण्ठ सुखकार ॥
श्री नेमिनार्थ के पूर्वभव-छप्पय पहले भव वन भील, दुतिय अभिकेतु सेठघर । तीजै सुर सौधर्म, चौम चिंतागति नभचर ।। पंचम चौथे वर्ग, छठें अपराजित राजा। अच्युतैन्द्र सातवें अमरकुलतिलक विराजा ।। सुप्रतिष्टराय आठम नबैं जन्म जयन्त विमान धर । फिर भये नेमिहरि वंशशशि थेदशभव सुधिकरहु नर।