________________
१४
जैन पूजा पाठ म्रप्रद
विनय पाठ दोहावली
जो पाठ ।
इह विधि ठाड़ो होयके, प्रथम पढ़ें धन्य जिनेश्वर देव तुम, नाशे कर्म जु आठ ॥ १ ॥ अनन्त चतुष्टयके धनी, तुम ही हो सिरताज । मुक्ति वधूके कन्त तुम, तीन भुवन के राज ॥ २ ॥ तिहुँ जगकी पीड़ा हरण, भवदधि शोषणहार । ज्ञायक हो तुम विश्वके, शिव सुखके करतार ॥ ३ ॥ हरता अघ अधियार के, करता धर्म प्रकाश । थिरतापद दातार हो, धरता निजगुण राश ॥ ४ ॥ धर्मामृत उर जलधिसों, ज्ञानभानु तुम रूप । तुमरे चरण सरोज को, नावत तिहुँजग भूप ॥ ५ ॥ मैं वन्दों जिनदेव को, कर अति निर्मल भाव । कर्मबन्ध के छेदने, और न कछू उपाव ॥ ६ ॥ भविजनकों भवकूपतें, तुमही काढनहार । दीनदयाल अनाथपति, आतम गुण भण्डार ॥ ७ ॥ चिदानन्द निर्मल कियो, धोय कर्मरज मैल सरल करी या जगत में, भविजनको शिवगैल ॥ ८ ॥