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________________ देव-जयमाला वत्ताणुहाणे जणु घणदाणे पई पोसिउ तुहूं खत्तधरु । तवचरणविहाणे केवलणाणे तुहुँ परमप्पउ परमपरु ॥१॥ जय रिसह रिसीसर-णविय-पाय । जय अजिय जियंगय-रोस-राय॥ . जय संभव संभव-कय-विओय ।जय अहिणंदण णंदिय-पूओय ॥२॥ जय सुराइ सुमइ-सम्भय-पयास जय पउमप्पह पउमा-णिवास ॥ जय जयहि सुपास सुपास-गत्त । जय चंदप्पह चंदाहवत्त ॥३॥ जय पुष्पयंत दंततरंग । जय सीयल सीयल-वयण-भंग। जय सेय सेय-किरणोह-सुज । जय वासुपुञ्ज पुजाणुपुज ॥४॥ जय विमल विमल गुणसेढि-ठाण । जय जयहि अणंताणंत-णाण ।। जय ६म्म धम्म-तित्थयर संत । जय संति संति-विहियायवत्त ॥शा जय कुंथु कुंथु-पहुअगि सदय । जय अर-अर-मा-हर विहिय-समय ॥ जय मल्लि नल्लिआ-दाम-गंध । जय मुणिसुव्वय सुव्वय-णिबंध ॥६॥ जय णमि मियामर-णियर-सामि । जय मि धम्म-रह-चक्क-णेमि ॥ जय पास पास-छिंदण-किवाण | जय वड्डमाण जस-वड्डमाण ||७॥ घत्ता इह जाणिय-णामहिं दुरिय-विरामहिं परहि वि णमिय-सुरावलिहिं । अणिहणहि अणाइहिं समिय-झुवाहहिं पणविवि अरहंतादलिहिं ॥ ॐ ह्रीं वृषभादिमहावीरान्तचतुर्विंशतिजिनेभ्यो अर्धे शास्त्र-जयमाला संपइ-सुह-कारण कम्म-वियारण भव-समुह-तारणतरणं ।। जिणवाणि णमस्समि सत्ति पयासमि सग्ग-मोक्ख-संगम-करणं ॥१॥ जिणिंद-मुहाओ विणिग्गय-सार । गणिद-विगुंफिय गंथ-पयार ॥ तिलोयहि संडण धम्मह खाणि । सया पणमामि जिणिदह वाणि ॥२॥ अवग्गह-ईह-अवायजुएहिं । सुधारणमेयहि तिण्णिसएहि ॥
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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