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________________ ह श्री महावीर स्वामी पूजा मत्तगयन्दा श्रीसतवीर हर भवपीर, भरै सुख-सीर अनाजुलताई। केहरि-अक्ष अरी करदत, नये हरि-पऋति-सौलि सु आई।। संतुमको इतथापतु हाँप्रभु, भक्ति-लमेत हिय हरखाई। हे करुणाधन धारक देव, इहांअव तिष्ठहु शीघहि आई॥ ॐ ही श्रीमहकी जिन्द्राय 'न यर । ॐ ही श्रीन्हावार जिनेन्द्र 'न । हो न्हावी जिनेन्द्राय 'म हेनन् । क्षीरोदधिलम शुचि नीर, कञ्चन सृङ्ग भरों। प्रभु बेग हरो भव-पीर, यात चार करो ।। श्रीवीर महा अतिवीर. सन्मतिलायक हो। जय वळसाल गुण-धीरः सन्मति-नायक हो ॥१॥ * ही न्हावा, निन्द्रनगर बन्द - कहा। मलयागिरि - चन्दनसार, केशर-संग घलों। प्रभु भव-आताप निवार. पूजत हिय हुललो ॥श्रीवीर०॥ ॐ हर जिन्नत करनय चन्दनः ।।
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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