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________________ ( ७२ ) बूढा-नहीं भले की बात कही तैं बुरे की सारी ।। जा घर अपने बैठ छोकरे अकल गई तेरी मारी ।। मैं तो शादी० ॥ १२ ॥ , हाय हाय बूढों के व्याह ने किया देश का नाश । तीस लाख भारत की विधवा भोग रही हैं त्रास ॥ मत शादी करे मत शादी करे ॥ १३ ॥ बूढा-फिर क्या भारत की रांडों का मैं हूं जिम्मेदार । - उन कमबख्तों के सिर कर पड़ी कर्म की मार ।। मैं तो शादी करूं ॥ १४ ॥ रिफार्मर-नहीं कर्म की मार पड़ी है तुझ जैसों ने कीना खुशी खुशी से शादी करके महापाप सिर लीना ॥ मत शादी करे मत शादी० ॥ १५ ॥ बूढा-बात कही तें सच्ची प्यारे अांख खुली अब मेरी । , मैं नहीं हरगिज़ ब्याह करूंगा, सुनी नसीहत तेरी ।। नहीं शादी करूं नहीं शादी करूं आज से लो मैं नियम करूं, नहीं शादी करूं नही शादी करूं । (वढे के ब्याह का ड्रामा) बुट्टा छोटीसी छोकरीको ब्याह लिये जाय । शेम शेम ॥ टेक गोदी खिलायगा, बेटी बनायगा। नन्हीसी बाला को व्याह लिये जाय, बूढा छोटीसी छोकरी० ॥ शेम शेम ॥१॥
SR No.010454
Book TitlePrachin Jainpad Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvani Pracharak Karyalaya Calcutta
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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