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तू कैवल्य उद्योत की, परम ज्योति तमहार । नयनालंद गरीब की, यह विनती उरधार ॥ मोह महातम दूर कर, शुद्ध ज्ञान परकाश । स्यों अब सांचे देव का, गाऊं भजन विलास ॥ यह विधि मंगल मानकै, कहूँ भजन दो चार । भाषू नयना नंद के, कृत बिलास अनुसार ॥
धुरपद। १-चाल धुरपद (२४ तीर्थंकर के नाम) ऋषभोजित संभवेद अभिनंदन सुमतिफंद पद्मप्रभपादबंद, भगवत गुणगावरे ॥ टेक ॥ लेवो शुभपास संत, चंद्रप्रभ , ५ शीतल श्रेयांस कंत, सीधेमन ध्यावरे ॥१॥ वासवनुत वासपूज भजिकर निर्मूल अरूज भाग अघ अनन्त धूज, सद्धर्म म. ॥२॥ धरले मनशांति कुथु, एरले अरमल्लिपंथ वरले सुवृत - नमि नेमीश पावरे ॥३॥ करले पारससे भेट सन्मति गहि । मेट बीत्यो चिरकाल क्यों न, उरझो सुरझावरे ॥४॥
२-चालधुरपद (तीर्थंकरों के पिता के नाम) चंदू जगनाथ तात, नाभिरु जितशत्रुनाथ । धार के जुग . मोथ, धन धन बलधारी ॥ टेक ॥ जयतार सुवीरमेघ, सुप्रतिष्ठ नेघा महसेन सुकंठ वेग दृढरथ सुखकारी ॥६॥ ले। वासुदेव, जयबृष लिघलेन एव । भावन विसुसेन सेव, . दुखहारी ॥२॥ सुन्दर दर्शन नरेश, कुभरु श्रीसमंतेश । विज