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महाचंद जैन भजनावली।
वाल-शिक्षा : कररहे बालक हाहाकार, अबतो चेत मूर्ख मतवाले ॥ टेर ॥ बालापनमें लाड़ लड़ाया, जेवर तनपै खूब सजाया, फूटा अक्षर नाहि पढ़ाया झूठा मोह बढाने बाले ॥१॥ फिर सादीकी धूम मचाई, नृत्यको वैश्या भी बुलवाई। खासी फुलवाड़ी लुटवाई, धनकी धूर उड़ाने वाले ॥२॥ यूंही बाली उमर बिताई, विद्या कुछ भी नाहिं पढ़ाई फिरतो जोर जवानी छाई, अबतो बार बार पछिताले ॥३॥ रहगये पूरे मूर्ख गंबार, न जाना जैन धर्मका सार । कर लिया विषयन को अखत्यार, पड़गये दुरमति के अब पाले ॥ ४ ॥ होवे इनका जब अपमान, रो● मात पिताकी जान । आया लाड़ प्यारक्या काम, दर दर भीख मंगा नेवाले ॥ ५॥ छोडो लडुवोंका गटकाना, बिगड़े सम्पति फिर पछताना । खोटी रूढो रोक अयाना, दुखमें दुख भुगतानेवाले ॥ ६॥ आवो व्यथ ब्ययसे बाज, तुमकोतनिकन आवे लाज। अब तो गहरा हुवा अकाज, मोटी तंद हिलाने वाले ॥७