________________
बुधजन विलास
पति यावी चाह करत उर कब पाऊँ नरजामा। ऐमा रतन पाय भाई क्यों खोबत विन कामा मात भू० ॥२॥ धन जोबन तन सुन्दर पाया, मगन भया लखि भामा।काल अचानक झटक खायगा,परे रहेंगे ठामा॥मति०॥३॥ अपनेस्वामीके पदपंकज, करो हिये विसगमा । मैं टि कपट भ्रम अपना बुधजन, ज्यौं पावौ शिवधामा मति भू० ॥४॥
__ धनि चन्द्रपभदेव, ऐपी सुबुधि उपाई ॥ धनि० ॥॥ जगमैं कठिन विराग दशा है, सो दरपन लखि तुरत उपाई ॥ धनिः ॥ १ ॥ लौकान्तिक आय ततखिन ही, चढ़ सिविका बनोर चलाई। भये नगन सब परिग्रह तजि के, नग चम्गातर लौंच लगाई ॥ धन० ॥२॥ महासेन धनि धनि लच्छमना, जिनके तुमसे सुत भये साई वुधजन बन्दत पाप निकन्दत, ऐमी सुबुधि करो मुझमाई ॥ धनि ॥३॥