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हो सकैगा ? और यदि बाह्य पदार्थ कुछ माना ही नहीं जाय तो यह वचन भी सत्य हो जाय कि " जिसने मनके संकल्पमात्र लड्डू खाये हैं और जिसने सच्चे लड्डू खाये है उन दोनोका पेट भरना और बल वढना इत्यादिक फल समान हैं " ।
न चामून्यर्थदूषणानि स्याद्वादिनां बाधां विदधते; परमाणुरूपस्य स्थूलावयविरूपस्य चार्थस्याङ्गीकृतत्वात् । यच्च परमाणुपक्षखण्डने ऽभिहितं प्रमाणाऽभावादिति तदसत् । तत्कार्याणां घटादीनां प्रत्यक्षत्वे तेषामपि कथंचित्प्रत्यक्षत्वं योगिप्रत्यक्षेण च साक्षात्प्रत्यक्षत्वमवसेयम् । अनुपलब्धिस्तु सौक्ष्म्यात् । अनुमानादपि तत्सिद्धिः । यथा - सन्ति परमाणवः स्थूलावयविनिष्पत्त्यन्यथाऽनुपपत्तेरित्यन्तर्व्याप्तिः । न चाणुभ्यः स्थूलोत्पाद इत्येकान्तः स्थूलादपि सूत्रपटलादेः स्थूलस्य पटादेः प्रादुर्भावविभावनात्; आत्माकाशादेरपुद्गलत्वकक्षीकाराच्च । यत्र पुनर - णुभ्यस्तदुत्पत्तिस्तत्र तत्तत्कालादिसामग्रीसव्यपेक्षक्रियावशात्प्रादुर्भूतं संयोगातिशयमपेक्ष्येयमवितथैव ।
जो वा पदार्थविषयके दोष बौद्ध मतमें दिखाये है वे दोष स्याद्वादियों के मत में भी संभव हो सकते हों ऐसा नही है । क्योंकि; स्याद्वादियोंने तो परमाणु तथा स्थूल अवयवी ऐसे दोनो प्रकारके बाह्य पदार्थ माने है । और जो परमाणुरूप बाह्य पदार्थ के खंडनमें बौद्धने ऐसा कहा था कि "परमाणुको सिद्ध करनेवाला कोई प्रमाण न होनेसे परमाणुरूप कोई पदार्थ नही है" " सो यह कहना असत्य है । परमाणुओंसे बने हुए घड़ा महल मकानादि अनेक स्थूल पदार्थोंके दीखने से कारणरूप परमाणुका भी एक प्रकारसे दीखना सिद्ध है । और योगीजन तो परमाणुको भी साक्षात् प्रत्यक्ष देखते है । हम लोगोंको जो परमाणुका साक्षात् प्रत्यक्ष नहीं है सो तो परमाणु अत्यंत सूक्ष्म होनेसे नहीं है । अर्थात् - हम लोगोको यद्यपि सूक्ष्म होनेसे परमाणुका साक्षात् प्रत्यक्ष नहीं है तो भी जो परमाणुओंके स्थूलकायका प्रत्यक्ष होता है वह परमाणुओंका ही प्रत्यक्ष है । क्योंकि, जिसका प्रत्यक्ष होता है ऐसा स्थूल अवयवी क्या परमाणुरूप अवयवोंके विना ही उत्पन्न हो जाता है ? यदि विना अवयवोंके नही उत्पन्न होता है तो जब वह पूर्ण अवयवी दीखता है तब उसके अवयव दीखनेसे कैसे बच सकते है ? यदि अवयव न दीखते हों तो | अवयवोंका समूहरूप अवयवी भी दीख न सकैगा । जिसके अवयव तो भिन्न भिन्न रहनेपर न भी दीख सकै परंतु उनका समूह | होकर जब स्थूल एक पिंडरूप हो जाता है तब उसीको स्थूल अवयवी कहते है । अवयवी कोई भिन्न पदार्थ नही है । अनुमानसे भी परमाणु सिद्ध होता है । सोई दिखाते है । जबतक छोटे छोटे अवयवरूप पदार्थ न हों तबतक बड़े बड़े पदार्थ