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________________ द देहे धादिमहिदे देहे विक्खा देहे वसतु विविविइ देोयेण सहियो + देोदये सहियो + देह पाणावं देहो बाहिरगो देहो य मरणो वाणी x देव्व मरणो वाणी x सुरति गह दो उग गया भगवया दो वरं वज्जित्ता दो उवरि वज्जित्ता दो को चक्की कोड लक्खा दो को वित्था प्राकृतपद्यानुक्रमणी भ० रा० १२४६ | दोणि पयो खिहिउवमा मुला० ८०६ | दोरिण य सत्त य चोदसपरम० ५० १ - ३४ | दोणि वि इसुगाराणं गो० ० ३ | दोणि वि मिलिदे कप्पं कम्मप० ३ | दोरिण वियप्पा होति हु भावस० ११७ दोणि सदा पणवण्णा श्रारा० मा० ३३ | दो रिण सया डहत्तरि पवयणसा० २-६६ दोणि सया गायन्त्रा तिलो० प० ६-३१ दाणि सयाणि अट्ठातिलो० प० १ - १२४ दोणि सया देवी सम्मइ० ३ -१० दोरिण सया पण्णासा पचस० ५-४३२ | दोणि सया वीसजुदा पचस० ५-४५५ दोरिण सहस्सा चउसय तिलो० प० ४ - १२८८ दो रिण सहस्सा ति-सया तिलो० प० ८ - २६५ दोणि सहस्सा दुसया तिलो० प० ४- १७२ | दोण्ड वि गयाण भणियं तिलो० प० ४-१७ | दोएहूं इसुगाराणं तिलो० प० ३ - २६ | दोह इसुगाराण | गाढ दो कोसा उच्छे हो दो कोमा उच् दो गुद्धिस्य दो-गुणहाणि-प्रमाण तिलो० प० ४ - १५६६ | दोह इसुगाराण दोह इ ( उ ) सुगाराण दोह इ ( उ ) सुगाराण दोहं इ ( उ ) सुगाराणं गो० जी० ६१३ | गो० क० ६२८ दोच उअडचउसगछज्ज्ञोयरण- तिलो०प०४ - २६६४ दो चाणं मिलि तिलो० मा० ४०१ दो चेव मूलिम (य) गया: दो चेव य मूलरणया * दो वेव सहस्सा दोच्छायाहॅ गियच्छइ दो चक्कं ढोकच उक्कं dhacarरसभाग दोजगारण अंतरदो मामगिरीण दोजोयण - लक्खाणि दोद तु जधाजाद दो दोमुहाभिधा मुि मुहंता ater far लक्खाणि दोणि तो पचखुतिसु care गिरिराया णयच० ११ दो तिह च दव्वस० य० १८३ दोहं तिरहं छह पचस० ५ - ३८६ | ढोह दोह छक्क रिस० ७६ | दोह पच य छचेव *गो० क० ७१० दोहं पंच य छचेव * पचस० ५-४१४ | दोहं पितरालं तिलो० प० १-२८१ दोरह भासताण जवृ० प० ६- १८ | दोयहं मेरुण तहा जबू० प० ६- १४ |दोरहं वाससहस्सा तिलो० प० ४ - २५६२ दो तिरिण वि सालाओ मूला० ६०१ दो-ती-वहि-रुंद दो तीस चत्तारिय तिलो० प० ४-१३३८ |दोत्तिगपभवदुउत्तर जबू० प० - १२० दो दंडा दो हत्था जब० प० ६-१४५ दो दियहा य दिट्ट (द्ध) तिलो० प० ७-६०० दो दो भरहेरावद सिद्धत० ७२ | दो दोस विप्पमुक्के भट्ठ ति तिलो०प०४-२८६६ २८७ तिलो० प०८ - ४६३ गो० क० ७६० क्षे २ तिलो० प० ४-२७८२ तिलो० प० ४-३६५ तिलो० प० १-१० तिलो० प० ४- १५०२ तिलो० प० ४ - १२७२ ज० प० १-५६ तिलो० प०२-२६७ तिलो० प० ३-१०४ तिलो० प०४-२००६ तिलो० १०४ - १४८७ तिलो० प० ४ - ११०६ तिलो० प० ४ - १११२ तिलो० प० ४ - २२१५ समय० १४३ तिलो० प० ४-२५३६ तिलो० प० ४-२५५१ तिलो० प० ४-२५५७ तिलो० प० ४-२७०४ तिलो० प० ४-२७६३ तिलो० प० ४-२७६७ जबू० प० ११-७५ लहिसा० ३५० छेदापं० २०३ तिलो० प०८-६६८ • पचसं० ४-६८ गो० जी० ७०४ तिलो० प० ४-२०७५ छेदपिं० ८७ जबू० प० ११-२६ जबू० प० ११-२५३ भ० श्रारा० ६३७ तिलो० प० ४-१३३६ पंचस० ४-३१४ गो० जी० ६१६ तिलो० प०२-२२१ रिट्स ० ६३ तिलो० प० ४-२४४७ जोगिभ० ३
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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