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पुरातन-जैनवाक्य-सूची
देसस्स मज्झमागे जंब० ५०८-१८ देहस्स य णिव्यत्ती
मूला० १०५० देमस्म रायधाणी जव० प० ६-४१ / देहस्स लाघा गेह
म. पारा० २४४ देरच रज दुग्गं
णयच०७४ देहस्स मुक्कसोणिय भ० श्रारा० १००४ देसं भोच्चा हा हा भ० श्रारा० ६६३ देहस्सुच्चत्त मज्झिमासु वसु० सा० २५४ देसा दुभिक्खीदी- तिलो. सा. ६८०
परम०प०२-१ देसामासियसुत्तं भ० श्रारा० ५:२३ देहह उभउ जरमरणु परम० ५० १-७० देसावरणगणोएण्व्भत्थं गो० क० १६८ देहहँ पेक्खिवि जरमणु, परम० ५० 1-01 देसावहि इब्भेयं
सुटसं० ६३ | देहहिं उभर जरमरणु पाहु. दो० ३४ देसावहि परमावहि भावसं० २६० देहहो पिक्खिवि जरमरणु, पाहु० दो० ३३ देसावहिवरदव्यं गो० जी० ४१२ देहं तेयविहीणं
रिटम० ३३ देमेक्कदेसविरदो भ० प्रारा० २०७० देहादि उ जे परि कहिया (य) जोगमा० १० देसे तदियकसाया
गो० क० २६७ / देहादिउ जे परि कहिया(य) जोगसा." देसे तदियकसाया
गो० क० ३०० देहादिउ जो परु मुणइ . जोगसा० ४८ देसे पुह पुह गामा निलो० सा० ६७० देहादिचत्तसंगो
भावपा० ४४ देसे सहस्स सत्त य पसं० ५-३६३ देहादिसंगरहिओ
भावपा०५६ देसो त्ति हवे सम्म .. गो० के० १८१ | देहादिसु अणुरत्ता रयणमा० १०६ देसो त्ति हवे सम्म क्म्मप० १४३ । देहादी फस्संता
गो. क. ३४० देसो समये समये लद्धिमा० १७४ | देहादी फासंता +
गो० क.१० देसोहिअवरदच गो० जी० ३६३ देहादी फास्ता +
क्म्म प० ११६ देमोहिमज्मभेदे गो० जी० ३६४ | देहा-देवलि जो बसड
परम० ५० ३३ देसोहिस्स य अवरं गो० जी० ३७३ देहा-देवलि जो वसइ
पाहु० दो० ५३ देसोही परमोही अंगप० २-७० देहा-देवलि देउ जिणु
जोगसा० ४३ देहअवट्ठिढकेवल- तिलो. प० १-२३ । देहा-देवलि मिउ वसड
पाहु. दो० १८६ देह कलत्तं पुत्तं
रयणसा० १३७ | देहा-देहहि जो बसड परम० प० १-२६ देह गलंतह सवु गलइ पाहु. दो० १०३ / देहादो वदिरित्तो
बा० अणु०४६ देहजुदो सो भुत्ता दवस० णय० १२३ देहा य हुंति दुविहा
दवस. णय. १२२ देह-तव-णियम-संजम- घसु० सा० ३४२ / देहायारपएसा
दव्वस० गय००४ देहतियबंधपरमो- भ० श्रारा० ०१२३ देहा वा दविणा वा पवयणसा० ०-१०१, देहत्थो भाइजड
भावस०६०१ देहि दाण चउ कि पि करि सावय० दो० १२१ देहत्थो देहादो
तिलो० ५० १-४१ | देहि वसंतु विणवि मुणिउ परम० प० २-१६५ देहपमाणो णिच्चो
कल्लाणा० ३६ देहि वसतु वि हरि-हर वि परम० ५० १-४२ देहमहेली एह वढ पाहु० दो० ६४ देहि वसंते जेण पर
परम०प०१-४४ देहमिलिदो वि जीवो कत्ति० अणु० १८५ देहीणं पज्जायाx
रायच०३१ देहमिलिटो वि पिच्छदि कत्ति० अणु० १८६ देहीणं पज्जायाx
दवस. य. २०३ देहमिलियं पि जीवं कत्ति० अणु० ३६६ देहीति दीणकलुगा
जंब० ५० २-१६६ देहम्मि मच्छलिंगं भ० श्रारा० १०३३ देहीति दीणकलुसं देह-विभिएणउ णाणमउ परम० प० ३-१४ | देहुदो चापाण
तिलो० सा० ८२६ देह-विभेय जो कुएइ परम० प० २-१०२ | देह वि जित्थु ए अप्पणउ परम० प० २-१४५ देहसुहे पडिबद्धो तञ्चसा० ४७ | देहे अविणाभावी
गोक०३४ देहस्स बीयणिप्पत्ति- भ० श्रारा० ५००३ } देहे अविणाभावी
मूला०८11
कम्मर० १०४