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________________ 396 (29) महामात्य वस्तुपाल का साहित्य-गंडल भौर मैस्कृत साहित्य में उनकी देन: डा. भोगीलाल ज0 सांडेसरा, प्रकाशक - दलसर मालवणिया, मंत्री जैन संस्कृति संशोधन मण्डल, दारापती - 5, प्रथम संस्करप, 1959 (30) रसगंगाधर : पंडितराज जगन्नाथ, संस्कृत व्या. - पं0 श्री बद्रीनाथ झा, हि. व्या. पं0 श्री मदनमोहन झा, चौखम्बा विद्याभवन, चौक बनारस - 1, 1955 (31) हिन्दी वक्रोक्तिजीवित: कन्तक, व्या. राधेश्याम मिश्र, चौगुम्बा पकाशन, वारापती प्रथम संस्करण, रान 1967 (32) वाग्भट विवेचनः आचार्य प्रियव्रत शर्मा, प्रकाशक - चौखम्बा विधाभवन, वारापती, प्रथम संस्करण, 1968 (33) वाग्भटाल्कारः वाग्भट प्रथम, सिंहदेवगणि टीका सहित, हि. व्याख्या. डा. सत्यव्रत सिंह, प्रकाशक - चौखम्बा विद्याभवन, चौक, वारापसी, सन् 1957 (34) संस्कृत शास्त्रों का इतिहास : आचार्य बलदव उपाध्याय, प्रदाञ्चक - शारदा मंदिर वारापती - 5, प्राईम संस्करप, सन् 1969 (35) संस्कृत साहित्य का इतिहासः सबी. कीथ. अन0 मंगलदेव शास्त्री, प्रकाशक - मोतीलाल बनारसीदास, बहली, सन् 1960
SR No.010447
Book TitlePramukh Jainacharyo ka Sanskrit Kavyashastro me Yogadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmi Pant
PublisherIlahabad University
Publication Year1992
Total Pages410
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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