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बेलगाम जिला।
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(There are numurous cultivators and labourers indi. cating the former supremacy of the Jain religion in Bombay Carnatic )
बेलगाम गनटियर जिल्द २१ (सन् १८८४) से जो विशेष इतिहास प्रगट हुआ है वह इस तरह पर है । इस बेलगाम जिले में सबसे प्राचीन स्थान पालासिगे, हालासिगे या हालसी पर है जो खानापुरसे दक्षिण पूर्व १० मील व वेलगामसे दक्षिण २३ मील है । हालसीसे करीब ३ मील पर जो ७ ताम्रपत्र मिले हैं उनसे विदित होता है कि ५वीं शताब्दिके करीब यह नौकादम्ब रानाओंकी राज्यवानी था । प्रायः ये सबही प्राचीन कादम्बोंके ताम्रपत्र प्रारंभ और अंतमें जैन मंगलाचरणको प्रगट करते हैं और सिवाय एक ताम्रपत्रके जो एक साधारण मनुष्यको भूमिदानके सम्बन्धमें है शेष सब ताम्रपत्र जैन धर्मको वृद्धिके लिये भूमि या ग्रामोंके दानके सम्बन्धमें हैं। पांच ताम्रपत्रोंमें पालासिग या हालसीका नाम है । एक बताता है कि हालसोमें जैन मंदिर बनाया गया ।
बेलगाममें जिन राहोंने राज्य किया था (मन् ८५० से १२५० तक) वे अपना सम्बन्ध राष्ट्रकूट राना कृष्ण द्वि० (सन् ८७५ से ९.११)से बताते हैं । ये राट्टराजा जन धर्मके माननेवाले थे।
इनकी उपाधि थी। लाहनूर पुरवर आधोश्वर अर्थात् लाडनूरके राना जो सब नगरोंमें प्रधान नगर था। राट्ट वंशका कुलवृक्ष इस प्रकार है